पटना।बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझीकी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने सोमवार को नीतीश कुमार सरकार से समर्थन वापस ले लिया. जीतनराम मांझी ने राज्यपाल को मिलकर समर्थन वापस लेने का पत्र सौंप दिया. न्यूज एजेंसी से बात करते हुए मांझी ने कहा, ‘हमने राज्यपाल को महागठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने का पत्र सौंप दिया है. मैं अपना समर्थन लेने वापस लेने की घोषणा करता हूं. दिल्ली में हम NDA के नेताओं समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलने की कोशिश करेंगे.
बीते हफ्ते कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले जीतनराम मांझी के बेटे सुमन ने कहा कि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने उनकी पार्टी पर जदयू में विलय के लिए दबाव डाला. पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी निकाय ने भविष्य की कार्रवाई पर निर्णय लेने के लिए सुमन को अधिकृत किया है. सुमन ने कहा कि वह विकल्प तलाशने के लिए दिल्ली जाएंगे और अगर भाजपा नीत गठबंधन उन्हें निमंत्रण देता है तो वह राष्ट्रीय जानतांत्रिक गठबंधन के आमंत्रण पर विचार करने को तैयार हैं.
उन्होंने तीसरे मोर्चे की स्थापना के लिए विकल्प खुला रखने की भी बात कही. सुमन ने BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ दिल्ली में होने वाली बैठक की अपुष्ट खबरों के बारे में पूछे गए सवालों को टाल दिया. बिहार विधानसभा में चार विधायकों वाला दल ‘हम’ पिछले साल महागठबंधन में उस समय शामिल हो गया था जब नीतीश कुमार ने भाजपा को छोड़ने का फैसला किया था.
बीते शुक्रवार को हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के महागठबंधन से अलग होने के बाद पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए नीतीश कुमार ने मांझी के अलग होने के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि भाजपा से भी मिल रहे थे और यहां के लोगों से भी मिल रहे थे. यह सब हम जान रहे थे. उन्होंने कहा कि जब वे मुझसे मिलने आए थे, तब मैनें कह दिया था कि या तो पार्टी को विलय कीजिए, नहीं तो महागठबंधन से जाइए.
उन्होंने जाने का निर्णय किया, ठीक ही हुआ. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक होने वाली है. मांझी इस बैठक में भी शामिल होना चाहते थे. बैठक में सभी दल के लोग अपनी बात रखेंगे. मांझी साथ रहते तो यहां सुनकर सभी बात भाजपा को पहुंचा देते, इसलिए उससे पहले ही चले गए, ठीक हुआ. नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि जीतन राम मांझी के जाने से महागठबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. विपक्ष पूरी तरह एकजुट है.